Tuesday, June 16, 2009

कल्पना



कल्पना के अनदेखे झूले में
सपनो के झरोखों से
एक बार मैंने देखा है तुम्हे

कंही खोकर ना रह जाए यह अहसास
बाँध लो हर साँस से साँस
प्यार का सफर लंबा नही
तुम उही ना बिछड़ जाओ कही
दिल के आशियाने में एक बार देखा है तुम्हे

ज़िन्दगी का अब एतबार नही
खाली जीवन हमें स्वीकार नही
जहाँ मेरी सीमा नही
उड़ना चाहते हो तुम वन्ही
उन सीमओं से परे मैंने देखा है तुम्हे


कल यह नज़ारे बदल ना जाए कंही
रो़क ना ले यह रस्मो रिवाज़ कंही
छोड़ दुनिया के साथ सभी
तोड़ सब बंधन आज यंही
खुले पंछी की तरह देखा है तुम्हे

इंतज़ार की इन्तहा हुए
आज तो मान जा युही
तुम्ही से प्यार है कहती हु
तुम बिन यह निरर्थ जीवन जीती हु
जीवन की जगह देखा है तुम्हे

कल्पना के अनदेखे झूले में
सपनो के झरोखों से
एक बार मैंने देखा है तुम्हे…

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