Tuesday, July 14, 2015



कुछ खास नहीं दास्ताने मोहब्बत मेरी.......


हर रात का आखरी खयाल तेरा..


 और..

 हर सुबह की पहली सोच तेरी...

...पल ...



विरह इश्क की परछाई होती हैं 

और परछाई के मुक्कदर में कभी जिस्म नहीं होते

दावा इश्क का और भूख जिस्म की

अगर ये मोहब्बत है...

तो हवस क्या है?


...पल ...



हम कितना करीब आ गए थे उनके,
ये जाना उनसे दूर जाने के बाद,
हमारी साँसों में घुल गयी थी साँसें उनकी,
ये जाना अपनी साँसों के थम थम के आने के बाद.....

...पल ...



ये हिचकीयोँ को मत भेजो अपना जासूस बना के....

हमे और भी काम है तुम्हें याद करने के सिवा.....



"तू " और " मैं " बाटते गए लोग कि जैसे ...

"हम" का वजूद ख़त्म हुआ कुछ इस कदर मेरे शहर में....

...पल ...

अनजान सी वो लड़की पूछ गई मंजिल का पता..... 

फिर क्या....? 

भूल गया वो लडका... अपना रास्ता...

...पल ...

Thursday, April 30, 2015

तुम..?



कभी आग आग 
कही धुँआ धुँआ 
कभी आस पास 
कभी यहाँ वहां 
कबी शोर हो तुम 
कभी मौन हो तुम 
कौन हो तुम..?

दर्द  से गेहरे 
सोच से उलझा 
प्यार  से नाज़ुक 
नक्श तुम्हारे 
ज़ेहन मै मेरे 
धुंधले धुंधले 

 इक शब्द हो तुम 
कोई सच हो तुम 
या उल्ज़ा हुआ ख्याल हो तुम 
कही रंगों से घुले 
कभी इनकार का 
कभी इंतज़ार का  
कभी इकरार का 
कभी तकरार का 
भीगा सा एक रंग प्यार का 
कभी  बे - मिसाल से 
कभी ला - जवाब से 
तू जो भी है 
बस मेरा ख्याल है 
या मेरे सवालो का जवाब है ....