Thursday, November 10, 2011

पलकों से उठा के ये ख्वाब 
सजाये है कदमो मैं तेरे 
संभल के रखना कदम अपने 
कही कुचल न जाये ख्वाब ये मेरे 

Pal


3 comments:

Raj said...

Yeh Suhane khwab mein maathe pe rakh lun....

pyaari si baat chand labzo mein likhi hai aapne Palak.....

संजय भास्‍कर said...

अच्‍छे शब्‍द संयोजन के साथ सुन्दर प्रस्तुति

संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

मुकेश कुमार सिन्हा said...

bahut khubsurat post:)