" तुज को मैं प्यार करती हु "
ये तोह बता गुनाह कोन सा ऐसा
" मैं यार करती हु "
मेरी खताओं मैं
मेरी समज का
" नहीं कोई दखल "
मैं जो भी करती हु
"बे - इख्तियार करती हु"
तू कितने प्यार के काबिल है
" क्या खबर मुज को "
के मैं तो जितना भी मुमकिन हो
" सिर्फ तुजे ही प्यार करती हु "
खुदा की दुनिया से इतनी
"महोब्बत नहीं है शायद "
खुदा के एक बंदे को मैं
"बे इंतहा प्यार करती हु "