Tuesday, June 14, 2011

नामुमकिन सी आरजू .....





काश कहा होता

तुम्हे ख़ुशी चाहिए ,

हम दुनिया भर की दे देते,

काश तुम ने कहा होता,
ख्वाहिश पूरी करने को,

हम एक भी अरमान बाकि नहीं रखते,

कहा काश तुम ने कहा होता,
तारे तोड़ लेन को,

सारा आकाश ले आते,

काश तुम ने कहा होता,
प्यार करने को,

आखिरी सास तक करते,

काश तुम ने कहा होता ,
जान दे देने को,

हस्ते हस्ते दे देते,

पर तुम तो वोह मांग बैठे

जो मेरे बस में नहीं

नामुमकिन सी आरज़ू
तुम से जुदा होकर जीना …








1 comment:

Raj said...

Ise padh kar maan mein ek hi sawal uth raha hai...."Kyun kabhi kisi ko mukammal jahan nahi milta?"

aapke andaaz ka to kya kehna....bahut sundar rachana hai aapki....palak