मुसाफिर तो बिछड़ते हैं
रफ़्तार कब बदलती है
मुहब्बत जिंदा रहती है
मुहब्बत कब बदलती है
तुम्ही को चाहते हैं और
तुम्ही से प्यार करते हैं
ये है बरसों की आदत और
आदत कब बदलती है
रफ़्तार कब बदलती है
मुहब्बत जिंदा रहती है
मुहब्बत कब बदलती है
तुम्ही को चाहते हैं और
तुम्ही से प्यार करते हैं
ये है बरसों की आदत और
आदत कब बदलती है
5 comments:
शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।
Beautiful as always.
It is pleasure reading your poems.
nice one
Hi Palak,
Really nice expressions,seems the art of some professional poet which I believe you are(if not one day you will be) :-)
A real inspiration for amateurs like myself,if you wish please visit my blog @ avinashsinghballia.blogspot.com
Regards
Avinash
I read all ur comment on my blog..that for appreciation..I know I replied late..but still thank u
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