मेरी तम्मनाये करे कब तक इंतजार कोई भी दुआ इसे गले क्यों नही लगती, अगर हो जाती मुरादें पल मैं पुरी .... तो मुरादें नही ख्वाहिसे कहलाती....
हर मुलाकात में महसूस यही होता है,
मुझसे कुछ तेरी नजर पूछ रही हो जैसे...!!!
महोब्बत में नही है फर्क जीने और मरने का...
उसी को देख कर जीते है जिस काफिर पे दम निकले....