मेरी तम्मनाये करे कब तक इंतजार कोई भी दुआ इसे गले क्यों नही लगती, अगर हो जाती मुरादें पल मैं पुरी .... तो मुरादें नही ख्वाहिसे कहलाती....
उसे सोचकर उठना और उसे सोचकर सो जाना,
कितना आसान है उसका न होकर भी उसका हो जाना...!!!
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