Tuesday, May 26, 2009

वोह कुछ...!!!!



वोह कुछ जो ना तुमसे कहना था
वोह जो अधुरा रहना था
वोह तुम अब भी ना समझ सके
दिल में रहकर भी वोह अलग रहे

तुमने मुझे शब्दों में बंधना चाह
मैंने तो सिर्फ़ तुम्हे चाह
यह दिल की लगी भी ऐसी थी
इस आग में मुझको जलना था

जीवन के किनारों में तुम्ही थे
में लहर बनी पर सिमट ना सकी
तुम पास मगर बहुत दूर रहे
में ओस बन बिखर ही गई

सांसे है कमजोर मन है विकल
यांदो में तुम आए पल ... विपल
वोह कुछ तोड़ गए हमें ...कुछ टूट गया
वोह सपना नही दिल अपना था…


पलक

Monday, May 25, 2009

Nazm ...

एक सवाल है ज़हन में,हर वक्त रहता है,
कैसे कहू उसे मुझे जो दोस्त कहता है।
तू है मेरे लिए एक दोस्त से भी ज़्यादा,
हर दम दोस्ती निभाने का है मेरा इरादा।
कुछ बात है मेरे दिल में पर लफ्जों की कमी है,
आंखों में पढ़ के देख ले एक शरारत सी बनी है।
कोई डर सा बना है दिल में नही साथ यह जुबां,
खो न दूँ यह दोस्ती कर के हाल-ऐ-बयान॥


Thanks for these beautiful lines ravi.... Thanks a lot.... I Post this Nazm b'coz i like it so much....

एक अनुभूति...!

शून्य मै फ्हिला हुआ एक पल
जीवन पर्व सा ठहरा हुआ
गगन भेदी यह भावना
शब्दों को नकारता यह भावना का पल

शब्द क्यों ठहरे ..?
मानव की उपलब्धी है ये
शब्द जाल है तो है ये कभी माला पर वों पल वही है
अम्बर सा स्थिर..
शब्द क्या कराय उसे अलंकृत
वोह पल... एक शब्द नहीं ..
एक अनुभूति है ...!!!







Saturday, May 16, 2009

तेरे नाम...!!!


दिल से निकली हर दुआ तेरे नाम

मेरी शाम सुर हर सुबह तेरे नाम

तू अपनी वाफाओ का मुजे हिसाब ना दे

मेरी प्यार की हर वफ़ा तेरे नाम

तू दूर है मुज से तोह कोई गिला नही

मेरे प्यार की हर सदा तेरे नाम

कभी गम के तू हर मत जाना

मेरी हर खुशी की इब्तिदा तेरे नाम ...



पलक ....