Monday, October 25, 2010

खता ....!!!!


हम तुम मिले कोई मुश्किल ना थी
पर इस सफ़र की मंजिल ना थी
तुम से कभी जुड़ ना पायेगे
ये सोच के दूर तुम से हुए

हालात ही कुछ ऐसे थे
की रुखसत लेनी पड़ी
वरना
हम बेवफा हरगिज़ ना थे
तुम माफ़ कर दो
यही गुज़ारिश है

ये मज़बूरी का किस्सा
जब तुम सुनोगे
तो शयद तुम समज पाओ
की
क्यों हुए ये खता हम से
पलक

Monday, October 11, 2010

कब बदलता है ....जो कही दिल मै जिन्दा है ....


मुसाफिर तो बिछड़ते हैं
रफ़्तार कब बदलती है
मुहब्बत जिंदा रहती है
मुहब्बत कब बदलती है
तुम्ही को चाहते हैं और
तुम्ही से प्यार करते हैं
ये है बरसों की आदत और
आदत कब बदलती है