मेरी तम्मनाये करे कब तक इंतजार कोई भी दुआ इसे गले क्यों नही लगती,
अगर हो जाती मुरादें पल मैं पुरी ....
तो मुरादें नही ख्वाहिसे कहलाती....
Friday, November 10, 2017
नया कदम
लिखना फिर से शुरू करना ऐसा है जैसे कोई पिंजड़े से किसी बेबस पंछी का आज़ादी की उड़ान की तरफ पहला पंख फैलाना... आज मैं भी इतने सालो बाद फिर इस आगंन मैं अपनी शब्दो के साथ शुरू करना चाहती हूँ।
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