Friday, July 30, 2010



बादलों के दरमियन कुछ ऐसी साजिश हुई..
मेरा मिट्टी का घर था वहीँ बारिश हुई..
फलक को आदत थी जहाँ बिजलिया गिराने की..
हमको भी जिद थी वहीँ आशियाना बनाने की

Thursday, July 29, 2010


ये उल्फतें भी अजीब हैं ये चाहतें भी अजीब हैं
कभी मिल के भी दूर हो कभी पास हो कर भी ना मिल सके
कभी याद आई तो बेशुमार कभी रो देये तो बेहिसाब
ये दिलो की हालतें भी अजीब हैं ये साज़िशें भी अजीब हैं..
कभी रंजिशें,कभी दुरियन,कभी मजबूरियां.
ये उलझनें भी अजीब हैं,ये मुश्किलें भी अजीब हैं..
ये ख्वाहिशे भी अजीब है ये हसरते भी अजीब है

Wednesday, July 28, 2010

महोब्बत हु.....!!!!


मैं साहिल पे लिखी हुई इबारत नही
जो लहरों से मिट जाती है
मैं बारिश की बरसती बूँद नही
जो बरस कर थम जाती है
मैं ख्वाब नही
जिसे देखा और भुला दिया
में शमा नही
जिसे फूका और बुझा दिया
में हवा का झोंका नही
जो आया और गुज़र गया
मैं चाँद भी नही
जो रात के बाद ढल जाए
मैं तो वो एहसास हूँ
जो तुझ मैं लहू बन कर गर्दिश करे
मैं तो वो रंग हूँ
जो तेरे दिल पे चढ़े कभी ना मिटे
मैं वो गीत हूँ
जो तेरे लबों से जुदा ना होगा
मैं तो वो परवाना हूँ
जो जलता रहेगा मगर फ़ना ना होगा
ख्वाब, इबारत, हवा की तरह
चंद, बूँद, शमा की तरह
मेरे मिटने का सवाल नही
क्यों की मैं तो मोहब्बत हूँ
मोहब्बत हूँ

जिन्दा ...तुज मै जीती ......साँस लेती .......धडकती

महोब्बत हु

दुनिया वाले कह रहे है साजिशो से पायी है

हमने ये जिंदा दिली तोह ख्वाहिशो से पाई है

कामयाबी पर हमारी जल रहा है क्यों यह जहाँ

कामयाबी हमने अपनी ख्वाहिशों से पाई है

Tuesday, July 27, 2010


तुम हो औरों की महफ़िल मैं मसरूफ,

यहाँ मैं हूँ और आलम-इ-तन्हाई..

अब लोग मुझे तेरे नाम से जानते हैं..

पता नहीं ये मेरी शोहरत है या रुसवाई..

Saturday, July 24, 2010

Memories


Sometimes I think of the times we had

Of the moments that we shared

Of all the hope and joy and love

That ended in despair

Sometimes I wish I could turn back time

And heal ill-fated wounds

And erase mere thoughts of promised love

That had ended all too soon

And if you ever feel lost

Know that I’ll be standing in the rain

Our lives may have been washed away

But the memories shall remain

Friday, July 23, 2010


तेरी नज़र को फुरसत ना मिली दीदार की,
वर्ना मेरा मर्ज़ इतना ना - इलाज ना था,
हम ने वहां भी मोहब्बत ही बांटी
जिस शहर में मोहबत का रीवाज न था.

Sunday, July 18, 2010

Giving up….


I know how hard is giving up
But sometimes I had to
Because of the need to do
The need to close the heart
The heart that is so ambivalent
For I can't decide
Whether to follow or not

Giving up, not that easy to do
The heart, the mind maybe affected too
But what can I do
The heart is too afraid to follow

Following seems so easy
Yet so hard to decide
Especially when afraid
The feelings that cannot be shared
Just the thought
Just in words, but not in deed

Giving up….

* I Love You *

Friday, July 16, 2010

काजल ....


मै आइने के सामने खड़ी सोचती हु

मेरा तोह उस से

कोई ताल्लुक ना था

फिर उस के जाने के बाद

मेरी आखो का काजल क्यों फ़ैल रहा है