Friday, December 26, 2008

Why`???

Why do you hope anything from someone?

Why someone, whom you trust most and to whom you look for support, never lies true to your expectations?

Why someone, whom you can never see upset, is always busy when you need him/her the most?



Why someone, whom you are always ready to hear, doesn't give you his/her ears when you want to talk to them?

Why???

Sunday, December 21, 2008

सपना ...!!!!!!!


हर बार उँगलियों को छू के ;
हाथ से फिसलता सपना;


पास आके कोसो दूर
निकल जाने वाला सपना;
उम्मीद की हर डोर
हर बीते दिन पे
कमजोर बनने वाला सपना;


फिर भी हर नए दौर में
नई रोशनी देता सपना ..


इन आखों में सजता ये सपना;
जिंदगी को नया रूप रंग देता,
जीने के लिए एक मकसद देता,
फिर से टूटने के लिए
उभरता एक और नया सपना !!


पलक

Wednesday, December 17, 2008


है अफताब उसमें ऐसा
जलना ज़मीन को पड़ता है
नशा तो उनकी बातों मैं होता है
तड़पना इस दिल को पढता है

यह तेरी ही बातों का कसूर है
मैं अकेली तोह गुनेगार नही
यह तेरी ही अदाओं का सुरूर है
यह इश्क कसूरवार तोह नही

Tuesday, December 16, 2008

ये गज़ले ...!!!!!


उठी जो दिल मैं एक आह,
मेरे जज्बो के गवाह यह ग़ज़लें,
कितनी तमन्ना से लिखी मैंने,
तुमसे मिलने की चाह ग़ज़लें,
कभी मेरे आंसू पोछती ,
ज़माने की नफरत और बेरूखी से,
मुझे दिलाती पनाह ग़ज़लें,
तुम्हारी गोद मैं हो सर मेरा,
है ऐसी लम्हों की चाह ग़ज़लें,

दिलाएंगी मकाम यह मेरा.....यह फ़िर करेंगे मुझे तबाह
यह गज़लें .....

Saturday, December 13, 2008

Tides Of Emotions


रंग मैंने देखे नही...
तेरी तस्वीर की बात कुछ और है...
एक गूँज जो कानो मैं आज भी गूंजती है...
इकरार की बात कुछ और है...
जीवन का सूरज डूबे तो क्या...
अंधेरे में चाँदनी की बात कुछ और है...
दुःख दर्द का मुझे मालूम ना था...
आँखों आसू बनके छाए हो तुम,
यह बात कुछ और है...
रेत पे लिखा एक नाम तो क्या...
हवा की मुझसे दुश्मनी थी,
यह बात कुछ और है...
दिन-दहाड़े किसे ढूँढती हैं...
आँखों मैं छाए हो बस तुम
यह बात कुछ और है...

पलक

Thursday, December 11, 2008

Missing U...!


यादों को आपकी लम्हा बना दिया करते हैं हम
उस एहसास को यूँ सहला लिया करते हैं हम
एक अरसे से आपकी इबादत में खोये थे हम कही
अब हर खुशी में आपको पा लिया करते हैं हम
कैसे करे शिकायत हम आपकी
की कभी गौर हम पर भी फरमा लिया कीजिये
की आप की बेरुखी को भी
आपका अंदाज़ मान लिया करते हैं हम ...

पलक




Wednesday, December 10, 2008

कोरे कागज़ की कहानी ...!

कुछ अनकही बातों से …
बयान कर जाते है…
कुछ दिल से नगमे प्यार के गुन गुनते हैं…
क्या कहे कोरा कागज़ कभी…
दर्द तो उसमे भी होता हैं…
इज़हार ना करे कभी…
की जलना उसको भी होता है
कही नही कभी किसीसे दास्तान अपनी
की दूसरों के ज़ज्बात ही वोह कहता है…
कितना कोमल है… कितना मासूम… है
सब के सपनो को आकर देता हैं…
लफ्जों को उसका आधिकार देता है…
सुनता हैं सभी की कहानी हमेशा
अपना किस्सा कभी ना किसी से कहता हैं…
क्यूंकि खामोशी का इज़हार, कभी किसी ने कहा देखा है…
की कोरे कागज़ की है ये कहानी अनसुनी ......
पलक

Monday, December 8, 2008

ये एहसास न था


कागज़ पर फिर शब्दों की कुछ लकीरें हम खिंच दिए
वो लकीरें किसकी के लिए यादों की सरहद बन जायेगी ये एहसास न था…
महसूस किया है इक ऐसा भी रिश्ता
जो नाम से आगे निकल गया
मालूम पड़ा जब लोगो को
दुनिया ने उसको कुचल दिया
वो रिश्ता धीरे धीरे से दुनिया से ओझल होने लगा
दिल में तो मगर वो तबसे ही नासूर क जैसे पलने लगा
हमारा घाव उन्हें दर्द न दे सो घाव हम अन्दर ही दबा लिए
वो घाव ही फिर हमारे जीने की वजह बन जायेगा, ये एहसास न था…

वो घाव जो दबा क रक्खा था
हम मरहम उसका बना लिए
फिर हलके हलके मलकर उसको
चद्दर के तले हम छुपा लिए
वो मरहम धीरे धीरे से, चद्दर में ऐसे घुलने लगा
वो घाव तो अक्खिर रूझ गया, चद्दर का रंग कुछ उड़ने लगा
गौर से उसको देखा तो फिर, ख़ुद ही से हम मुकर लिए
एक घाव मिटने वाला मरहम, चद्दर पर दाग सा बन जायेगा ये एहसास न था…

दिल का बोझ हल्का करने हम कलम तोह उठा दिए
वही कलम का तेज़ रुख किसीके दिल पर कटारी बन जाएगा ये एहसास न था