हर मोर्चे पर लड़ती दिख जाती है वो ...
कभी भावनाओं से लड़ने का संघर्ष ...
कभी अपने हक को पाने का संघर्ष ...,
कभी ज़िन्दगी को जीने का संघर्ष ....
कभी अपनी चाहत को पाने का संघर्ष ...,
पर इच्छाशक्ति की स्वामिनी बन ...
हर मोर्चे पर परचम लहरा जाती है वो ...
फिर अंत में अपनो से ही हार जाती है वो ...,
हथियार तो तब भी नही डालती वो ....
बस रिश्ते जीवंत करते-करते छलनी हो जाती है वो ..
नारी है वो ...एक अदम्य साहस की परिभाषा है वो ....
1 comment:
superb!!!!!!!!!
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