Tuesday, November 21, 2017

मेरी हर खुशी में हो तेरी खुशी
मोहब्बत में ऐसा ज़रूरी नहीं.......
प्यार करने से पहले ऐसा कोई वादा तो नहीं लिया था तुमसे के जो मुझे अच्छा लगे वो ही तुम कहोगें या करोगें और ना ही ऐसा कोई वादा किया था मैंने के मैं हर वक़्त हर हाल में तुमको खुश रखूँगी! प्यार तो प्यार होता है उसमें कोई खुशामत नहीं होती, खूबी के साथ ऐब को भी प्यार के धागे में मोतियों की तरह सजाना होता है... अपने आप में कभी मस्त तो कभी दुःखी तो तभी भी होते है जब अकेले होते है, फिर अगर प्यार से किसीका दामन थाम भी लिया, तो फिर गम या उम्मीद की शिकायत कैसी? जुड़ने से वो इंसान, उसकी बातें, उसका रंग ढंग, उसका रवैया, उसका रहन सहन, उसकी सोच, उसके जज्बात, उसका अस्तिवत थोड़ा बदल ज़रूर जाता है लेकिन मिट तो नहीं जाता! फिर उसे अपने खुद के किरदार से निकालकर जैसा तुमकों पसंद हो वैसा बनाने के ये ज़िद कैसी?
"मोहब्ब्त है ये जी हुज़ूरी नहीं..............."

हो सकता है मेरा तरीका बदल गया हो, वक़्त के साथ सहलाने का सलीका बदल गया हो, लेकिन फितरत नहीं! क्यों किसी एक को भी ये पुरवार करने की ज़रूरत पड़े के बदले वक़्त के साथ हम नहीं बदले! हो सकता है मनाने का ढंग बदल गया हो क्योंकि मानने मनाने के ज़ोन से कबके आगे निकल चुके है लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं के चाहत बदल गई है। इश्क़ है तो इश्क़ है और रहेगा चाहें रूठ जाओ या खुद ही मान जाओ, मोहब्ब्त है कोई समझौता तो नहीं! बाकी समझाना मेरे बस की नहीं, बस इतना समझ लो के "कैसे खुश तुझे रखूं नहीं पता, पर चाहती हूं तेरे लबों पे हँसी....."

मोहब्बत है ये जी हुज़ूरी नहीं.....

-YJ

2 comments:

गोपालकृष्ण said...

मैं फ़रमाईश हूँ उसकी,
वो इबादत है मेरी,
इतनी आसानी से कैसे
निकाल दू उसे अपने दिल से,
मैं ख्वाब हूँ उसका,
वो हकीकत है मेरी|

Palak.p said...

लाजवाब