मेरी तम्मनाये करे कब तक इंतजार कोई भी दुआ इसे गले क्यों नही लगती, अगर हो जाती मुरादें पल मैं पुरी .... तो मुरादें नही ख्वाहिसे कहलाती....
उउफ्फ्फफ़ शरारती ठंड मे......
जिद्दी धूप सा है तुम्हारा इश्क......!!!!!
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