मेरी तम्मनाये करे कब तक इंतजार कोई भी दुआ इसे गले क्यों नही लगती, अगर हो जाती मुरादें पल मैं पुरी .... तो मुरादें नही ख्वाहिसे कहलाती....
मेरी बेवजह बेसबब की यूँ ही सी बातें तुम्हें यूँ हीं कभी बेवक्त याद आयेंगी जैसे मैं तुम्हारी ज़िंदगी में यूँ ही अचानक आ गई।
लम्हें.....
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लम्हें.....
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