तू चंदन से बनी,
तू केसर से बनी,
तू गुलाब की काया है
ये इतना सौंधापन,
ये इतनी महक,
सब तेरी ही माया है
तू श्लोकों से बनी,
तू ऋचाओं से बनी,
तू ही वेद-पुरान है
ये कालिदास की कला,
केशव का काव्य सब तेरा ही दान है
तू धरम से बनी,
तू करम से बनी,
तू ही पुण्यप्रताप है
ये कृष्ण की राधा,
ये राम की सीता,
सर्वत्र तेरा ही जाप है
तू गंगा से बनी,
तू जमुना से बनी,
तुझमें नर्मदा समाई है
ये शिव अभिषेक,
ये कुम्भ स्नान,
सबमें तेरी ही परछाई है
तू लौह से बनी,
तू स्वर्ण से बनी,
तू अद्वितीय प्रतिमान है
ये देश गौरव,
ये संसार का सातत्य,
तेरा ही वरदान है
तू प्रीत से बनी,
तू संयम से बनी,
तू ही भाग्य विधाता है
ये गर्भस्थ शिशु,
ये वीर पुरुष, तू ही सबकी दाता है .....
-डॉ. मधुसूदन चौबे
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