मुज को जिन्दगी का ये हिस्सा समझ नहीं आता
क्यूँ जीता है इंसान यह फल्साफा समझ नहीं आता
कुछ तरस जाते जैन कहने को
और कुछ को कहने के मायने समज नै आते
कुछ फटे हाल सड़कों पर घुमा करते है
और कुछ को महलो मैं भी आराम नहीं आता...
मुज को जिन्दगी का ये हिस्सा आज भी समझ नहीं आता ...