हम तुम मिले कोई मुश्किल ना थी
पर इस सफ़र की मंजिल ना थी
तुम से कभी जुड़ ना पायेगे
ये सोच के दूर तुम से हुए
पर इस सफ़र की मंजिल ना थी
तुम से कभी जुड़ ना पायेगे
ये सोच के दूर तुम से हुए
हालात ही कुछ ऐसे थे
की रुखसत लेनी पड़ी
वरना
हम बेवफा हरगिज़ ना थे
तुम माफ़ कर दो
यही गुज़ारिश है
तुम माफ़ कर दो
यही गुज़ारिश है
ये मज़बूरी का किस्सा
जब तुम सुनोगे
तो शयद तुम समज पाओ
जब तुम सुनोगे
तो शयद तुम समज पाओ
की
क्यों हुए ये खता हम से
पलक