मेरी तम्मनाये करे कब तक इंतजार कोई भी दुआ इसे गले क्यों नही लगती, अगर हो जाती मुरादें पल मैं पुरी .... तो मुरादें नही ख्वाहिसे कहलाती....
Thursday, August 28, 2008
Taking For Granted …!
Wednesday, August 27, 2008
थोड़ा और इंतज़ार...!
पल-पल हर पल की आहट मे खामोश सा है
हम से है अलग पर इन साँसो से कुछ जुड़ा सा है
धीमे-धीमे गिरते वक्तपर रफ्तार का अहसास सा है
हर थमी बातो मे साथ छोड़ते अल्फाज़ का अह्सास सा है…
चाँद तो आता है नज़र पर इसमे यह सूरज खो गया क्यो है
आँखो मे बसे है चेहरे पर अपना ही अक्स छुपा क्यो है??
कही भूला,कही छुट सा गया है मुझसे
थोड़ा ठहरा, थोड़ा सहमा हूँ इससे
हर रात के लिए रोशन है कुछ दिये
बुझे चिरागो से ढूढूगा किसे
पर यह रोशनी ही तो अंधेरे का सबब है
इन्ही परछाइयो का तो रूह को समझ है
नज़रो को ढूढती पैरो के निशान
जब सेह्रा मे साहील का हुआ था गुमान
कही तो साहील होगा इस सागर के पार
शायद इसलिए है इन यादो को…
और थोड़ा…थोड़ा और इंतज़ार…
Tuesday, August 26, 2008
स्वपन एक सुन्दर घर का...!
बनाते हम तुम मिल कर जो,
जैसे प्रेम नीद मै,प्रेमी दो ,
अपना जहाँ सुन्दर होता, जिसमे हम रह पाते तो,
तुम मेरे संग , मै तुम संग,
दिल की बात कह पाते तो
मै राह निहारती, तुमारी प्रेम पथ पर
तुम काम से थक कर आते तो,
मै भी थकी हरी सी, हस्ती,
तुम भी कुछ मुस्काते तो,
सारी पीरा तुम मुझ से, हम तुम से कह पाते तो,
Saturday, August 23, 2008
चाहत का इज़हार ...!
सहमी सी निगाहों मैं ख्वाब हम जगा देगे ,
इस दिल का चैन भी हम लुटा देगे ,
तुम अपनी चाहत का इज़हार जो करो,
इन पलको मैं हमेशा के लिए तुम्हे पनाह देगे …
अपने खयालो के हर कोने मैं तुम्हे बसा लगे ,
फ़िर तो हम उस चाँद को भी भुला देगे ,
तुम अपनी चाहत का इजहार जो करो ,
हमारी तराह तुम्हे भी हम दीवाना बना देगे…
तन्हाई मैं तुम्हारी हम महफील सजा देगे ,
लबो पर तुम्हारी एक मुस्कान सजा देगे ,
तुम अपनी चाहत का इजहार जो करो ,
इस इजहार के इंतज़ार मैं हम जिन्दगी गुजार देगे …
***** पलक *****
Friday, August 22, 2008
Thursday, August 21, 2008
मेरे होने का मतलब दे दो.....................
जन्मो से चल रही हूँ साथ तेरे
अब तो कुछ देर ठहरने दो...
मिट्टी पर खीची थी जो लकीरे
और बनाए थे आशियाने जो रेत पर
अपने अपने नसीब के हिस्से के
कुछ तो मकाँ बनने दो..
वो जो कहते है कि सब तेरा है
ये वक़्त ये आलम ये दिल भी तेरा है
ये आंखो मे जो अटका पड़ा है एक आँसू
उसे ही बस मेरे नाम रहने दो....
खिलते थे कभी तुम भी मेरे नाम से
और महक उठते थे इस खयाल से
एक पल को ही सही
फिर से वही सब सोच लो
मेरे होने के अर्थ को
मेरे होने का मतलब दे दो.....................पलक
Wednesday, August 20, 2008
तेरी उल्फत
तेरी उल्फत का यकीं था
तेरी आने की उम्मीद थी ,
तेरे इंतज़ार मैं कटी फ़िर एक शाम जिन्दगी की …..
तेरी महोब्बत में हमने तो
भुला ये सारा जहाँ
दिल की हर एक धड़कन अब हमें लगती है अजनबी सी
सारे राह गिरते है , चलते चलते हम,
रहते है हम अक्सर ख्यालों मैं ये तेरे ,
लगता है ऐसे जैसे हमपर चली है कोई बेखुदी सी..
आवाज़ तेरी देती है हमे सुकून हरदम ,
चेहरा तेरा रहता है आखों मैं यु सनम ,
तेरे दर्द - ऐ - जुबानी मैं भी मिलती है एक खुशी सी …
सारे लम्हे बिखेर चुके है ,
तुज से यु जुदा हो ..
पर आज भी.... उनके कुछ निशाँ बाकि है जिन्दगी मैं ....
यु ही तेरी उल्फत का यकीं था .......... पलक
Tuesday, August 19, 2008
सुकून.....
Monday, August 18, 2008
मेरा नाम है महोब्बत ....!
Saturday, August 16, 2008
वन्दे मातरम्......!
सस्य श्यामलां मातरंम् .
शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् .
सुखदां वरदां मातरम् ॥
सप्त कोटि कण्ठ कलकल निनाद कराले
द्विसप्त कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीम् मातरम् ॥
तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ॥
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम् ॥
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम् ॥
वन्दे मातरम् सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
सस्य श्यामलां मातरम्
शुभ्र ज्योत्स्ना पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम्
Jai Hind
Wednesday, August 13, 2008
Tuesday, August 12, 2008
बात कह भी दो जो न मैं कह सकू
बीत जाए न यह पल,
हाथो को छु कर.. वो बात कह भी दो
कुछ तुम कहो , कुछ मैं सुनु
बाँहों मैं तुम समां लो .. कह दो वो बात आज ...
बीत जाए न ये रात युही
कह दो जो आज कहना ..जो मेरे दिल को है सुन ना
कुछ तुम कहो .. कुछ मैं सुनु ...पलक
Monday, August 11, 2008
Sunday, August 10, 2008
तेरा सजदा...................!!!!!!!!!
Saturday, August 9, 2008
एक खुबसूरत याद
चुपके से
सरगोशी से
अँधेरी रात मैं
भीगी बरसात मैं
कभी वीराने मैं
कभी अनजाने मैं
कभी महफिल मैं
कभी तन्हाई मैं
क्या ख़बर क्यों आती है
ये वक्त के
किस वजह से किस के लिए
किस की खातिर
किस ले लिए
क्या कहे ..क्या बताये
ये क्या है
एक एहसास है
एक प्यास है
फ़िर भी अच्छी लगती है
अनजानी सी
बेगानी सी
पहचानी सी
" एक खुबसूरत याद"
Friday, August 8, 2008
Thursday, August 7, 2008
कंगन....!
तो बड़े प्यार से बड़े चाऊ से बड़े मन के साथ
तुम अपनी नाज़ुक सी कलाई मैं लगाती
और फ़ुसर्सद के लम्हों मैं
तुम किसी सोच मैं डूबी हाथ से घुमाती मुज को
मैं तेरे हाथ की खुशबू से महक सा जाता
जबकभी अनजाने से चूमा करती मुझे
तेरे होंठो की नजाकत से देहेक जाता मैं
रात को जब भी नीदों के सफर पर जाती
अनजाने से हाथ का तकिया बनाया करती मुझे
मैं तेरे कानो से लग कर कई बाते कर लेता
बेफिक्री से तेरी जुल्फों को तेरे गालो को चूम लेता
मुज को बेताब सा रखता तेरी चाहत का नशा हर वक्त
मैं तेरी रूह मैं बसा रहता
ऐसे ही तेरे हाथो मैं खनकता रहता
कुछ नही तो ये बेनाम सा बंधन होता
काश मैं तेरे हसीं हाथों का कंगन होता ..
Wednesday, August 6, 2008
प्यार का इज़हार ....!!!!!
पहले बड़े जतन से हम ने लब्जो को सजाया है
राह मै अचानक जब आप नजर आते है
हलक से आने मै आवाज कुछ देर लगाती है
जब कहने को होते है तो आप गुजर जाते है
आज तक कुछ कह नही पाए है
हार कर लब्जो को कागज पर सजाये है
कुछ ज्यादा नही इतनी सी फरमाइश है
एक तुम जैसे जीवन साथी की ख्वाइश है
माफ़ कर दीजियेगा गर भूल हुए जो कह कर
एहसान होगा आप का जो ये प्यार कुबूल हो ....
Tuesday, August 5, 2008
क्या हो तुम .......
क्या हो तुम .......
मेरे लिए मेरी दुनिया हो तुम
छु कर जो गुजारी वो हवा हो तुम
मैने जो मांगी वो दुआ हो तुम
करे मुझे जो रोशन वो दिया हो तुम
दिल ये कहे मेरा जिया हो तुम
किया जो मैंने महसूस वो एहसास हो तुम
मेरे होठो की प्यास हो तुम
मेरे बाँहों की आस हो तुम
मेरी नजर की तलाश हो तुम
मेरी जमीन का आकाश हो तुम
मेरे चेहरे की कशिश हो तुम
मेरे सितारों की गर्दिश हो तुम
मेरी जिन्दगी का करार हो तुम
मैंने जो चाहा वो प्यार हो तुम
मेरे इंतजार की राहत हो तुम
मेरे दिल की धड़कन हो तुम
तुम हो तो ये दुनिया है मेरी
कैसे कहू की मेरी जान हो तुम........
पलक
Monday, August 4, 2008
सिर्फ़ तुम .....!!!!
जब कभी सुबह की पहली किरण को देखा तो ,
तुम्हारा मुस्कुराना याद आता है .......
जब कभी सूरज को ढलता देखा
तो तुम्हारे गम याद आते है ......
जब कभी परिंदों की चेह्काहत सुनी
तो तुम्हारी मध्हम सी आवाज़ याद आती है ..........
जब कभी गुलाब को खिलते देखा
तो तुम्हारे लब याद आते है ........
जब कभी बरसते बदल को देखा
तो तुम्हारी याद मैं डूबी... वो शाम याद आती है
जब कभी नज़म को सुना
तो तुम्हारे कुस्हू के बसे ख़त याद आते है .....
जब कभी बरसती बूद को चमकते देखा
तो तुम्हारी आखे याद आती है ......
जब कभी तुम्हारे खातो को पढ़ा
तो तुम्हारा बेपनाह प्यार याद आता है.......
जब कभी अँधेरी रात मैं चमकते सितारों को देखा
तो तुम्हारे नज़रो की शरारत याद आती है .......
कभी समंदर को किनारे से टकराते देखा तो तुम्हारी
वो....... मुलाकात याद आती है ....
जब कभी चाँद को ...!
फूलो को ...!
बरसते बदलो को देख ....!
तो तुम्हारी याद आती है ....!
बस .........
जब जन मैं सास लू ,
तो तुम याद आते हो....
सिर्फ़ तुम .....!!!!
Sunday, August 3, 2008
Saturday, August 2, 2008
Friday, August 1, 2008
महोब्बत की है....!
तेरी याद ये महोब्बत की है
जिस मै हो सिर्फ़ तेरी और मेरी बाते
और जो महकते हो तेरी ही महोबत से
मैंने उन जस्बात से महोबत की है
मैने उस इंतज़ार से महोब्बत की है ...