Monday, September 29, 2008

CLEARIFICATION

I want to say something here.. for all my frds and for that ppl who all ready my blog. i m not a POET. yes but i have one hobby that is reaing some poems and ood book. Writing diary is my passion.yes off course sometimes i write poetry that is fact .. somethimes it is very hard to write all that poem which i loved the most so thats why i post here inmy blognot for ppl or my frds this blog is only for me and my memories.. i picked this poem from one of a beautiful blog. but unfortunately the author of that blog misunderstand me . yes of course may be my mistake that i was not mension her name below this poem but not a bad intenshion . just forgot. i think the proper sentance is " these r my memories so i think it is not complasary to mention his or her name. anywaz this is a crrarificatiopn for all my frd. and if i hurt someone in anyway then i m sorry . but again i reapet i have not a wrong intension.

PALAK......

Saturday, September 27, 2008

कुछ बाते अधूरी सी!!!


हमने महबूब की आँखों पर
हाथों को अपने रख कर देखा
नफ़रत के अंगारों को जब उनकी
नज़रों मे दहकता देखा
और उनही हाथों को दिल पर रख कर,
अपनी हसरतों को ख़ुद अपनी आँखों से जलता देखा
चाँद की तरह हमने प्यार को भी मरता देखा!!!

एक अजनबी सी नज़र दीवार को भेदती हुई,
एक उखड़ी हुई साँस जिगर को छेद़ती हुई
ख़ुद की तलाश मे भटक रही है रूह,
दो पल का भी नहीं जैसे मेरे नसीब मे सुकून
घर के साज़ो-समान को ख़ुद पर हमने हस्ते देखा
अपने वजूद को भी सजावट का सामान बनते देखा!!!

हर रिश्ते पर एक मौत ख़ुद की पाई है
बाज़ार मे जैसे बोली ख़ुद अपनी लगाई है
कोई ज़हर जैसे अपने हाथों पी लिया हमने,
ज़हर पी के भी मगर कैसे जी लिया हमने
खुली आँखों से कैसा ख़ौफ़नाक ये सपना देखा
कई ज़हरीले नागों को क़दमों से लिपटते देखा !!!

एक ही मंज़र ये ह्र रात का होता है
चाँद भी आकर मेरी छत पे रोता है
पलकों मे नमी होती है बिखरी बिखरी
दिल फ़िर भी नयी उमीद़ कोई पिरोते है
वोह तो तिक्ये को आगोश मे ले लेते है
जाने कैसे वो चैन की नींद सो लेते है
रात की रानी को कभी खिड़की पे महकता देखा
हमने रातों को आँखों आँखों मे गुज़रता देखा!!!

i want to say something here.. for all my frds and for that ppl who all ready my blog. i m not a POET. yes but i have one hobby that is reaing some poems and ood book. Writing diary is my passion. somethimes it is very hard to write all that poem which i loved the most so thats why i post here inmy blognot for ppl or my frds this blog is only for me and my memories.. i picked this poem from one of a beautiful blog. but unfortunately the author of that blog misunderstand me . yes of course may be my mistake that i was not mension her name below this poem but not a bad intenshion . just forgot. i think the proper sentance is " these r my memories so i think it is not complasary to mention his or her name. anywaz this is a crrarificatiopn for all my frd. and if i hurt someone in anyway then i m sorry . but again i reapet i have not a wrong intension.

PALAK......

Tuesday, September 23, 2008

May we love foreve..!!!!


From strangers to lover
it has been a difficult way
flirting and feelings
and mixed emotions
and the range of hateret
and over powered me once
felt like end of the world
when you cheated on me

Today we are lovers to be
like we were sweethearts from eternity
like there was never a begining
like there will never come an end
this is the magic of love
the love we share now my friend

i wish you make me feel cheesy
and comfurlable as you do
may the life we have dreamt of
is written dowm the history
from the mistry os love
to love’s deepest findings
may we live foreve;

you and me

Monday, September 22, 2008

ख़तम न हो कभी सिलसिले
जो अब तुमसे बने है
मिटे न कभी अपने फासले
जो अब नज्दिकिया बनी है
टूटे न कभी मन के धागे
जो अब तुमसे जुडे है
बहे न कभी अब आंसू
जो तुमने बांधे है
महकता रहे अब प्यार
जो अब तुमसे मिला है
हर सांस में रहे इक नाम
जो अब बस तुम्हारा है

Sunday, September 21, 2008

तुम हो ... हम हो.....!!!!!


दिल करता है आज बस तुम हो हम हो
इस नगरी में मोहब्बत की, न हो कोई दूजा

मेरे दिल में आहेसस सिर्फ़ तुम हो
ऐतबार तुम मेरा, तुम हो मेरी पूजा

इश्क़ है जुनून है और है गुदगुदाता समा
तुम हुए हमारे यह जान के मौसम हसा

आयो आब तुम बाहों में आजओ
इस प्यार के न मिले कभी सज़ा
******पलक ******

Friday, September 19, 2008

प्यार...!!!!


जो करता है तुम से प्यार
वो ही देता है तकलीफ हज़ार
उस के दिल मैं होता है
तुम्हारे हर बात के लिए इकरार
करो तुम चाहे कितना भी इनकार
पर लगेगा वो तुम्हे प्यार हर बार
रूठ जाओगे तो मनाएगी वो
हर बात पर तुम से करेगी तकरार
पर एक बार उस से कह कर देखना
जिन्दगी भर करेगी वो तुम्हारा इंतज़ार
तुम्हारे हर दुःख को अपना कर
देगी वो तुम्हे खुशियाँ हज़ार
करेगी तुम्हारी हिफाज़त कुछ ऐसे
जैसे पूलों की हिफजात कांटे करते है हर बार ....




Wednesday, September 17, 2008

कहीं ये कोई इशारा तो नहीं !!


भीगी तो नहीं है पलकें ,
पर हाँ नम हैं आँखें आज फ़िर,
दर्द तो नहीं है दिल में कोई
पर एक एहसास सा है आज फ़िर,


उस ऊंचे आकाश को देख कर
फ़िर उड़ने को दिल क्यों करता है ?
इस फैली धरती को देख कर
इसमें समाने को दिल क्यों करता है ?


ओस की बूंदों पर ,फूलों के रंगो में
मैं कुछ ढूँढने लगी हूँ !
बारिश की रिमज़िम में ,तारों की टिमटिम में ,
मैं कुछ खोने सी लगी हूँ !


सच तो नही शायद पर फ़िर भी दिल ये पूछता है ,
ये उड़ना ये खोना ,ये आँखों का नम होना ..
कहीं ये कोई इशारा तो नहीं !!

Tuesday, September 16, 2008

उमर लग जाये उन्हें.....!!!!


प्यार का जिस ने मुझे एहसास दिलाया
जिस के कंधे ने मेरे असू पीए कही बार …
जिन बाँहों ने मुझे सहारा दिया,
दिल में जिनकी सबसे खास-अनोखी जगह है,
जिन्होंने ने मेरे जीवन को आधार दिया
हर मुशकिल राह को जिसने आसां किया ,
खुश रहें सदा वो दिल से !!
कोई गम ना हो, बस ये सौगात मांगती हूँ


ए खुदा मेरी भी उमर लग जाये उन्हें
हर वक़्त हर घडी ,आपसे उनका साथ मांगती हूँ


दिल दुखाया है मैंने , कई बार..
जानती हूँ… और सजा भी खुद आज मांगती हूँ …


मेरी आत्मा है वो न कोई उन जैसा मेरे लिए
हर जनम ,अपने साथ उनका हाथ मांगती हूँ


पलक

Sunday, September 14, 2008

~~~~यादे, बस यादे ~~~~~


कदम रुक जाते हे
कई बार पलट कर
जब हम बीते लम्हों को टटोलते हे,
यही तो तुम खड़े थे
वो कम शक्कर की चाय के कप पर
वो बरसती शाम की बूंदों पर
तुमने मुझे पास बुला कर कहा था
की "तुम्हारे बिना जिया नही जाता"
वो बूंदे गवाह थी, तुम्हारे इज़हार की
वो गवाह वक्त के साथ सूख गए
पर यादे.....
वो वही उसी कमरे में
खिड़की पर तुमसे छुट गई
चाय का कप तो धुल गया
पर उस मे जमी तुम्हारी
खुशबू मिट नही पाई...
आज भी बारिश बहुत तेज हे
खुली खिड़की की आवाज़.. लगता हे
तुम्हे बुला रही हे
कदम रुक जाते हे
कई बार पलट कर जब हम
बीते लम्हों को टटोलते हे..


palak

जब वो मेहँदी रचाए हाथों मैं ....!!!


ऐसी ही सर्द शाम थी वो भी ....
जब वो मेहँदी रचाएं हाथों मैं ....
मेरे पास वो आई थी .......
ज़मानी से बच कर ....
सब से नज़रे चुरा कर....
सुर्ख अचल मैं मुह छुपाये हुए ...
ख़त अपने मुज से लेने आई थी वो....
उस की सहमी हुई निगाहों मैं .....
कितनी खामोश सी बाते थी ......
उसके दिल मै कही अनकहे सवाल थे ..
उस के चेहरे की जर्द रंगत मैं ....
कितनी मजबूरियों के साये थे ....
मेरे हाथों से ख़त लेते हुए .....
ना जाने क्या सोच के अचानक वो .....
मुज से लिपट कर रोई थी ....
उस के गुलाबी होठों के ....
कपकपाते किनारों पर ...
कही अन कहे फसाने थे .....
सर्द शाम मैं आज भी अक्सर ....
उस की रुख्सदी का मंज़र .....
मेरी आखों मैं जिलमिलाता है .....
बस एक वही लम्हा .....
मुज को अपनी तरफ़ ....
बार बार खिचता है ....
ऐसी ही सर्द शाम थी वो भी ...
जब वो मेहँदी रचाए हाथों मैं ....
मेरे पास आई थी.......


पलक ....!!!!!

Friday, September 12, 2008

ek aur naya sapana !!


Har baar ungaliyon ko chooke;
Haath se Phisalta Sapana;
Pass aake kosoon door
Nikal jaane wala Sapana;
Ummid ki har dor
har beete din pe
kamajor banane wala sapana;
Phir bhi har naye daur me
nayi roshani deta
in aankkhon me sajata ye sapana;
jindagi ko naya roop rang deta,
jeene ke liye ek maksad deta,
phir se tootane ke liye
ubharta ek aur naya sapana !!


*****PALAK******

Thursday, September 11, 2008

निशान दिल पर तेरे ....!!!


गीली रेत पर पैरों के निशान
हाँ, मिट जायंगे,
उस सागर की इक लहर के संग
पर उन चिह्नों का क्या?
जो दिल पे छाए, बन कर घने साये ...
नही मिटते वो आसुओ के साथ भी
ओर गहरे हो जाते है ..
क्या है कोई ऐसा सागर....
जो मिटा दे ये निशान...

पलक

Wednesday, September 10, 2008

चाँद और चांदनी......!


एक चाँद की सहेली
मेरी भी सहेली
बड़ी इठ्लाये अपने पीया पे
देख देख उसे
ज़लाये-चिडाये
इक दिन पूछा मैंने
ऐसा कया उसमे?
लगी इतराने ....
पिरोई उस ने तारीफों की लड़ी
सुन सब, मैंने
अंगूठा दिखलाया और कहा ....
अरी, बड़ा दूर वो तुझ से
न जाने कितनों का सजन, तेरा सनम
मेरा 'माही' तेरे चाँद से कितने पास मेरे
दिन -रात, हर पल संग रहता मेरे
कोई नहीं देखे उसे मेरे सिवा
बस 'माही' मेरा ....मेरा ही रहे
हमेशा के लीए .....
तब वो इठला के बोली
चाँद मेरा हमदम
मेरा दोस्त
मेरी जिन्दगी है
हा वो दूर है मुज से
पर इतना पास है
जितना किसी का सजन ना होगा
दुरिया हमरी प्यार कम नही करती
हमें और पास ले आती है
चाँद और मैं .... हम सच्चे चाहने वाले है

वो चाँद मै चांदनी बनी उस की ....
वो चाँद मेरा " माहि" है ... मेरा यार है.. मेरी आत्मा है .....

Tuesday, September 9, 2008

ARMAN HAI TUM SE ....!


Mujhe Chanda Kaho , Jaan Kaho
Mujhe Apne Dil Ka Mehmaan Kaho
Mujhe Dekho Her Lamha Yunhi
Mujhe Tum Apni Pehchaan Kaho
Mai Puri Karoo Tumhari Her Khawahish
Mujhe Tum Apna Maan Kaho



Her Haal Mai Tum Mujh Ko Hi Socho
Mujh Se Dil Ka Her Armaan Kaho
Her Lamha Tum Ko Hi Chahoon Mai
Mujhe Pyaar Ki Tum Apni Shaan Kaho



Mere Dil Ki Dharti Tumhari Hi Hai
Us ko Zameen Kaho, Aasman Kaho
Her Azooo Ko Meri Zuban Keh lo
Tumhari Dunia Mai Khoyi Rehti Hun
Mujhe dulhan tumhari dil ki anjan Keh lo



Rakhoon Door Her Shaher Ko Tum se
Mujhe Dost Kaho, Negebaan Keh lo
inayat Pyaar Ki Apni De Do
chahay pyar ki pehchan keh lo...
पलक



Monday, September 8, 2008

ज़िन्दगी ...!



ना कांटों का है दामन ना फुलों कि सेज सुहानी है,
ज़िन्दगी तो बस नदी सा बहता पानी है....
ना रुकी है पल को भी किसी क रोके,
रफ्तार उसकी तुफानी है.....

ज़िन्दगी और कुछ नही बस बहता पानी है ......

चली थी पहाड़ से हौले से तो बचपन,
लगी इठलाने तो जवानी है ....
हुई धीमी जो सागर मे मिलने से पहले,
तो बुढ़ापे कि भूली सी कहानी है...
ज़िन्दगी और कुछ नही बस बहता पानी है

पल भर को बिखरती है झरने से गिर कर,
फिर समेट के खुद को ,वोह आगे बड़ जानी है....
लाख रोको उसको बाँध बाना कर,
मोत् के सागर मे इक दिन मिल ही जानी है ....
ज़िन्दगी और कुछ नही बस बहता पानी है.....
Palak

Sunday, September 7, 2008

निशनी रह जायेगी....


मेरी यादों मैं, एक अनकहीं कहानी रह जायेगी
कुछ पलो मैं बीती , सारी जिन्दगी रह जायेगी
कुछ पल मैं चल पाउगी , एक कहानी बनकर
तमाम उमर तेरी नजरो मैं एक निशानी रह जायेगी
ज़ख्मो का हिसाब तो हमेशा ही बेहिसाब रहेगा
कम से कम ये आंखे तुम्हे नमी दे जायेगी
ये महफिलों की दुनिया कर जाउगी नाम तेरे...
फ़िर भी तेरी जिन्दगी मैं एक तन्हाई रह जायेगी ....


palak

Thursday, September 4, 2008

अमानत.....


सुर्ख सी खुशी है... नादान सी जरुरत...
धीरे धीरे सासों को भी हो चुकी एक मुद्दत .....
असमानों के परे ...कही खिल रहा एक फूल ....
कैसे कह दू की क्या है वो...
अगर कह दू.. तो तुम हो ....अगर न कुछ तो नजाकत हो.....
वो कदमो पर तेरा यु कदम रख कर चलना .........
थोडी अनकही.. थोडी शोख... कुछ रूठी.. कुछ सहमी....
हर आरजू की एक छोटी सी एक चाहत ...........
चाहत के धागे का वो एक सिरा ... मैंने अपने दिल से बाँध रखा....
और सहज कर रखा है तेरी वो नजदीकियों की अमानत.....


.......पलक.......

Tuesday, September 2, 2008

आग का दरिया....

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हसीं लम्हों का सूनापन
उल्जा उल्जा सा मेरा मन
कभी भूल नही पाउगी मैं तुम्हे
पानी का वो मौज तक आना
हर साँस को गीला कर जाना
कही पर छोड़ आई हु मैं
यादों के सफर पीछे रह गए और.......!!!!!
कल साथ ले आई हु मैं
बयां करू मै कोन सा ख्याल
बेचैन दिल से किया सवाल
मेरे पास तो रह गया है सिर्फ़
शब्दों का जरियां ..
एक पल मै जी आई हु मैं
तेजाब की बूंदे बारिश मै कल
जलाये आखों मैं वो हसीं पल
न रोक सही कल मैं उसे
रत भर सुलगती रही ऐसे ही उस मैं
जाने फिर कब ऐसे बरसात हो
याद रहेगा उमर भर वो
वो बारिश ...
वो बूंदे ...
वो पानी.....
और वो....आग का दरिया....






palak

Monday, September 1, 2008

उस से कहना की..........



उस से कहना किताबों मैं रखे सुखे हुए कुछ फूल उस के लौट आने का यकीं अब तक दिलाते है ,
उस से कहना उस की जील सी आंखे किसी मंज़र पर छा जाए तो सब मंज़र युही भीग जाते हैं ,
उस से कहना ठंडी बर्फ पर कोई किसी के साथ चलता है तो दिल फ़िर से उन क़दमों के निशान से उसी के लौट आने की उम्मीद करता है ...
उस से कहना उसकी भीगती आखों का वो आसू सितारे की तरह अब भी हमें शब् भर जगाता है ,
उस से कहना के बारिश आज भी उन खिड़की पर बूंदों से उस का नाम लिखती है ,
उस से कहना की खुशबू, चांदनी तारे , रास्ते , घटा, काजल ,शबनम, हवाएं , रात और दिन, बादल ये सभी नराज़ है ....उस से कहना जुदाई के रिश्तों पर जो सूखी टहनियां है वो सारी बर्फ की चादर मैं कब की ढक चुकी है ....
उस से कहना की शाखों पर जो पत्ते थे वो अब सुनहरे हो चुके है ....
उस से कहना की..........
बस अब लौट आए .......
मेरे पास लौट आए... ...


पलक